चलो आज एक सुनी-सुनाई प्रस्तुत है : -
महाभारत काल में रणभूमि में कौरव व पाण्डवों के बीच युद्द चल रहा था .... आमने-सामने अर्जुन व कर्ण ... अर्जुन व कर्ण जब एक-दूसरे पर वाण चलाते तो वार तो कट जा रहा था ... पर अर्जुन के वार से कर्ण का रथ चार कदम पीछे चला जाता था और कर्ण के वार से अर्जुन का रथ दो कदम पीछे जाता था ... इसी बात पर विश्राम के समय में अर्जुन इठलाते हुये श्रीकृष्ण से कहते हैं कि देखिये आप कहते हैं कि कर्ण मुझसे भी ज्यादा बल शाली है, देखा आपने आज मेरे आक्रमण से कर्ण का रथ चार कदम पीछे और उसके आक्रमण पर अपना रथ मात्र दो कदम पीछे जा रहा था यह प्रमाणित हो रहा है कि मैं कर्ण से ज्यादा बलशाली हूं ... श्रीकृष्ण मुस्कुराते हुये कहते हैं ... हे वत्स अर्जुन ये तुम्हारा अहं बोल रहा है मैं अब भी कहता हूं कर्ण ज्यादा बलशाली है वो इसलिये जब तुम्हारे रथ पर हनुमान जी का ध्वजारूपी जो झंडा लगा है उस पर उनका आशिर्वाद है और साक्षात मैं तुम्हारा सारथी हूं फ़िर भी तुम्हारा रथ पीछे चला जा रहा है इससे अब तुम स्वयं अंदाजा लगा सकते हो कि कौन ज्यादा बलशाली है .... यह तो अधर्म के विरुद्ध धर्म की लडाई है तुम तो अपना कर्म जारी रखो ..... !!!!
3 comments:
dono hi balshaali the
http://sanjaykuamr.blogspot.com/
बहुत ही ज़बरदस्त और बेहतरीन सन्देश! बहुत खूब!
कर्मण्ये वाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन
मा कर्न्फाल हेतुर्भुर्मा ते संगोत्सव कर्मणि
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