भभक रहे भ्रष्टाचारी शोलों को
ठंडा करने
क्या अब इस धरती पर
"मंगल पाण्डे" जन्म नहीं लेंगे
बेलगाम प्रशासन पर
बम फ़ेंकने
क्या अब इस धरती पर
"भगत सिंह" जन्म नहीं लेंगे
दुष्ट-पापियों से लडने को
एक नई सेना बनाने
क्या अब इस धरती पर
"सुभाष चन्द्र" जन्म नहीं लेंगे
एक नई आजादी के खातिर
सत्याग्रह का अलख जगाने
क्या अब इस धरती पर
"महात्मा गांधी" जन्म नहीं लेंगे !!!
11 comments:
बहुत खूब उदय भाई !
नए अंदाज़ के लिए शुभकामनायें !
पाठक लेखक की बात नहीं है बात है जज्बों की और उस जज्बों को सुरक्षा और सहायता पहुँचाने के एक देश व्यापी सुरक्षा तंत्र की जो आप जैसे सोच वाले लोगों के एकजुटता से बनायीं जा सकती है ...तब जाकर इन्सान पैदा होगा और महात्मा गाँधी और शहीद भगत सिंह ...
SO true...we keep looking for others to come and solve our problems!!
bahut hi saarthak, behtareen post.
अपकीिस कविता ने बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर दिया। अब टी वी देख कर लगता है यहाँ सिर्फ डाँसर या सिंगर ही जन्म लेंगे। कोई भी ऐसा प्रोग्राम न तो सकूल मे न ही टी.बी मे दिखाया जा रहा है कि बच्चों मे देश प्रेम के प्रति कोई भावना जन्म ले। बहुत अच्छी लगी आपकी कविता। शुभकामनायें
ham sb mil kar praarthna karte hain aur subhash jaise ran-baankuro ko bulate hai.
sunder prastuti.
बढ़िया पोस्ट!
इसके लिए हमारी सोच जिम्मेदार है सुंदर रचना के लिए बधाई
maine to kisi aadmi ka kuchh kiya nahin, phir janm kyon nahin lenge bhai ?
सही लिखा है....
आप की रचना 30 जुलाई, शुक्रवार के चर्चा मंच के लिए ली जा रही है, कृप्या नीचे दिए लिंक पर आ कर अपने सुझाव देकर हमें प्रोत्साहित करें.
http://charchamanch.blogspot.com
आभार
अनामिका
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