Tuesday, July 20, 2010

.... ब्लागर एक "अंतर्राष्ट्रिय पत्रकार" है !

ब्लागजगत में जो लेखन कार्य युद्ध-स्तर पर चल रहा है लेख, कविता, कहानी, हास्य-व्यंग्य, कार्टून, चर्चा-परिचर्चा, गुफ़्त-गूं, क्रिया-प्रतिक्रिया, यह सभी समाचार के हिस्से हैं इन सभी के समावेश से "समाचार पत्र व पत्रिकाएं" साकार रूप लेती हैं .... "ब्लागजत" पर लेखन को मात्र शौक-पूर्ति नहीं कहा जा सकता यह एक "अंतर्राष्टिय मंच" है .... "अंतर्राष्टिय पत्रकारिता" है ....

... यह सर्वविदित सत्य है कि आये-दिन ब्लागजगत के लेख इत्यादि "प्रिंट मीडिया" में समावेश हो रहे हैं कभी-कभी तो ब्लागिंग "इलेक्ट्रानिक मीडिया" में सुर्खियों का विषय रहा है .... इस बात से कतई इंकार नहीं किया जा सकता कि आने वाले समय में ब्लागजगत "अंतर्राष्टिय पत्रकारिता" का मजबूत स्तंभ होगा .... इसका खुद का अपना एक "संघठन" होगा और सभी ब्लागर "सदस्य" होंगे, जो "अंतर्राष्ट्रिय पत्रकार" के नाम से जाने जायेंगे ...

..... मेरा मानना तो ये है कि अभी से ब्लागजगत के नामचीन ब्लागर मिलकर इस दिशा में सार्थक पहल करते हुये साकार रूप देने के लिये रूप-रेखा तैयार करें .... क्यॊंकि देरे-सबेर यह कार्य तो होना ही है फ़िर आज से क्यॊं नहीं ... "अंतर्राष्टिय पत्रकारिता" का एक "डिजाईन" तैयार होते ही, बुनियादि कार्य में हर एक "ब्लागर" अपनी सारी "ऊर्जा" लगा देगा .... ब्लागजत में स्थापित मेरे साथियों कदम बढाओ "अंतर्राष्टिय पत्रकारिता" का ढांचा तैयार करो ... इमारत तो बना ही लेंगे .... आज मैं इस मंच से एक ऎसा "कडुवा सच" बयां कर रहा हूं जो सिर्फ़ "कडुवा" ही नहीं वरन "मीठा" भी है .... ब्लागर एक "अंतर्राष्ट्रिय पत्रकार" है !

11 comments:

honesty project democracy said...

बहुत ही अच्छा सुझाव ,लेकिन इसके प्रारूप को तैयार करने में सभी ब्लोगर योगदान दें और सहायता करें तो अच्छा रहेगा ...

खबरों की दुनियाँ said...

अच्छा सुझाव है । ब्लॉग अच्छा लगा , बधाईयां स्वीकार करें ।
आशुतोष

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

बहुत ही सुंदर विचार।
इस दिशा में पहल की जानी चाहिए।
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अथातो सर्प जिज्ञासा।
महिलाओं को क्यों गुजरना पड़ता है लिंग परीक्षण से?

Anonymous said...

बहुत बढिया लिखा है भाई साहब!

arvind said...

यह एक "अंतर्राष्टिय मंच" है .... "अंतर्राष्टिय पत्रकारिता" है ....बहुत बढिया .अच्छा सुझाव
.बधाईयां स्वीकार करें

कडुवासच said...

@खबरों की दुनियाँ
...शुक्रिया आशुतोष भाई!!!

ZEAL said...

achha sujhaav hai...badhai evam aabhar.

शिक्षामित्र said...

इसमें कोई संदेह नहीं कि ब्लॉग का प्लेटफॉर्म गूगल ने जिन अपेक्षाओं से उपलब्ध कराया था,ब्लॉग ने खुद को उससे कहीं अधिक साबित किया है और इसमें अनंत संभावनाएं छिपी हैं।

sandhyagupta said...

Aapki baat se sahmat hoon.

पंकज मिश्रा said...

बहुत बढिया।
सुंदर विचार।
शुक्रिया

Satish Saxena said...

जब कभी यह सच माना जाने लगेगा ! आपका नाम आएगा ! शुभकामनायें