इस तरह मुँह फेर कर जाना तेरा
देखना एक दिन तुझे तडफायेगा ।
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फूलों में जबां तुम हो, खुशबू पे फिदा हम हैं
अकेले तुम तो क्या तुम हो, अकेले हम तो क्या हम हैं।
देखना एक दिन तुझे तडफायेगा ।
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फूलों में जबां तुम हो, खुशबू पे फिदा हम हैं
अकेले तुम तो क्या तुम हो, अकेले हम तो क्या हम हैं।
13 comments:
Such me bol rahe hain aapke ye sher.
बहुत खूब!
वाह वाह ..........
बहुत बढिया भाई साहब!
फूलों में जबां तुम हो, खुशबू पे फिदा हम हैं
अकेले तुम तो क्या तुम हो, अकेले हम तो क्या हम हैं।
वाह बहुत खूब शुभकामनायें
माफ कीजिएगा,थोड़ी और कलात्मक अभिव्यक्ति की अपेक्षा थी।
गुरु जी , ये तो पहले वाला तो दहाड़ता है !
और आप कहते है बोलता है !
वाह! बहुत खूब...
बहुत सुन्दर शेर....
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'पाखी की दुनिया' में आपका स्वागत है.
मौके पर काम आने वाला साहित्य ।
वाह ! बहुत खूब ।
Padhkar mazaa aaya aur achha bhi lagaa.
Padhkar mazaa aaya aur achha bhi lagaa.
bhaiyya ,.
aapke shero ne bas qatl ka kaam kiya hai .. pahle sher ne jaan hi nikaal kar rakhi hai , aur likhiye bhai ..
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