Thursday, July 29, 2010

शेर

बडा मुश्किल है जीना, यारों के चलन में
यारों से, रकीबों के रिवाज अच्छे हैं ।
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मिटटी
के खिलौने हैं हम सब, मिटटी में ही रचते-बसते हैं

जिस दिन टूट-के बिखरेंगे, मिटटी में ही मिल जायेंगे ।

4 comments:

arvind said...

बडा मुश्किल है जीना, यारों के चलन में
यारों से, रकीबों के रिवाज अच्छे हैं ।
...badhiya sher

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

खूबसूरत ...सटीक

अरुणेश मिश्र said...

बहुत खूब ।

खबरों की दुनियाँ said...

आईना है सच का , गागर में सागर सा । बधाई ।