तू तन्हा क्यों समझता है खुद को ‘उदय’
हम जानते हैं कारवाँ तेरे साथ चलता है।
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रोज आते हो, चले जाते हो मुझको देखकर
क्या तमन्ना है जहन में, क्यूँ बयां करते नहीं।
हम जानते हैं कारवाँ तेरे साथ चलता है।
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रोज आते हो, चले जाते हो मुझको देखकर
क्या तमन्ना है जहन में, क्यूँ बयां करते नहीं।
6 comments:
तू तन्हा क्यों समझता है खुद को ‘उदय’
हम जानते हैं कारवाँ तेरे साथ चलता है।
हाथ मलते हैं देख तेरे जलबे का सबब
हर शक्स तेरा साथ पाने को मचलता है
@ Udan Tashtari
.... बेहतरीन समीर भाई, आभार !!!
सुन्दर प्रस्तुति...आभार
रोज आते हो, चले जाते हो मुझको देखकर
क्या तमन्ना है जहन में, क्यूँ बयां करते नहीं।
...vah...bahut badhiya sundar prastuti.
positive soch.badhiya.
bahut badiya likha hai...
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