Thursday, September 2, 2010

शेर

तू तन्हा क्यों समझता है खुद को ‘उदय’
हम जानते हैं कारवाँ तेरे साथ चलता है।

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रोज आते हो, चले जाते हो मुझको देखकर
क्या तमन्ना है जहन में, क्यूँ बयां करते नहीं।

6 comments:

Udan Tashtari said...

तू तन्हा क्यों समझता है खुद को ‘उदय’
हम जानते हैं कारवाँ तेरे साथ चलता है।

हाथ मलते हैं देख तेरे जलबे का सबब
हर शक्स तेरा साथ पाने को मचलता है

कडुवासच said...

@ Udan Tashtari
.... बेहतरीन समीर भाई, आभार !!!

समयचक्र said...

सुन्दर प्रस्तुति...आभार

arvind said...

रोज आते हो, चले जाते हो मुझको देखकर
क्या तमन्ना है जहन में, क्यूँ बयां करते नहीं।

...vah...bahut badhiya sundar prastuti.

अनामिका की सदायें ...... said...

positive soch.badhiya.

Anonymous said...

bahut badiya likha hai...

A Silent Silence : Mout humse maang rahi zindgi..(मौत हमसे मांग रही जिंदगी..)

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