क्यूँ खफा हो, अब वफा की आस में
हम बावफा से, बेवफा अब हो गये हैं।
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छोड दूँ मैं मैकदा, क्यों सोचते हो
कौन है बाहर खडा, जो थाम लेगा।
हम बावफा से, बेवफा अब हो गये हैं।
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छोड दूँ मैं मैकदा, क्यों सोचते हो
कौन है बाहर खडा, जो थाम लेगा।
4 comments:
बेहतरीन!
Nice...छोड दूँ मैं मैकदा, क्यों सोचते हो
कौन है बाहर खडा, जो थाम लेगा।
अच्छा लगा .धन्यवाद
* पोला त्योहार की बधाई .*
बढ़िया
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