Monday, September 13, 2010

चांदी के सिक्के

दोस्तो क्यों परेशान होते हो,
क्यों हैरान होते हो,
चांदी के चंद सिक्कों के लिए,
ज़रा सोचो,
चांदी के सिक्कों का करोगे क्या !

क्या इन सिक्कों को
आंखो पर रखने से नींद आ जाएगी,
या फिर इनसे,
रात की करवटें रुक जायेंगी,
और तो और, क्या कोई बतायेगा,
कि इन सिक्कों को देख कर,
क्या ‘यमदूत’ डर कर लौट जायेंगे,

या फिर, इन सिक्कों पर बैठ कर,
तुम स्वर्ग चले जाओगे,
या इन्हें जेब में रख कर,
अजर-अमर हो जाओगे,
अगर तुम सोचते हो,
ऐसा कुछ हो सकता है,
तो चांदी के सिक्के अच्छे हैं,
और तुम्हारी इनके लिए मारामारी अच्छी है,

अगर ऐसा कुछ न हो सके,
तो तुम से तो,
तुम्हारे चांदी के सिक्के अच्छे हैं,
तुम रहो, या न रहो,
ये सिक्के तो रहेंगे,
न तो तुम्हारे अपने और न ही ये सिक्के,
तुम्हें कभी याद करेंगे,

अगर ऐसा हुआ या होगा !
फिर ज़रा सोचो,
क्यों परेशान होते हो,
चांदी के चंद सिक्कों के लिए,
अगर होना ही है परेशान,
रहना ही है जीवन भर हलाकान्,
तो उन कदमों के लिए हो,
जो कदम उठें तो,
पर उठ कर कदम न रहें,
बन जायें रास्ते,
सदा के लिए, सदियोँ के लिये,
न सिर्फ तुम्हारे लिए,
न सिर्फ हमारे लिए..........।

11 comments:

POOJA... said...

achhee aur sacchee kavita... aakhir kee panktiyaan sabse sundar hain...

वीना श्रीवास्तव said...

चांदी के सिक्के क्या कुछ भी साथ नहीं जाएगा...सच है... बहुत अच्छी कविता

ASHOK BAJAJ said...

बहुत ही उत्कृष्ट विचार ,धन्यवाद .

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

न तो तुम्हारे अपने और न ही ये सिक्के,
तुम्हें कभी याद करेंगे,

एक ऐसा सच जिसे जानते सब हैं पर मानते नहीं ...

Rahul Singh said...

काव्‍य की तरलता से अधिक विचारों की सघनता.

खबरों की दुनियाँ said...

सच कहा है किसी ने दिल है कि मानता नहीं ।

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

बहुत खूब उदय भाई. बधाई.

Unknown said...

Very good uday ji....chandi ke sikke..

डॉ. मोनिका शर्मा said...

bahut umda prastuti.... chandi sikkon ke zariye kahdi jeevan ki saari kahani

खबरों की दुनियाँ said...

बहुत अच्छा उदय भाई जी ।

SAJAN.AAWARA said...

YE CHANDI KE SIKKE HUM APNE SATH NAHI LE JA PAYENGE, PAR IN SIKKON SE HUM KI JARURATMAND KI HELP TO KAR HI SAKTE HAIN. AAPKI RACHNA BAHUT ACHCHI HAI. DHANYWAD