Saturday, September 4, 2010

परिवर्तन

आज नहीं, तो कल
होगा "परिवर्तन"

चहूं ओर फ़ैले होंगे पुष्प
और मंद-मंद पुष्पों की खुशबू
उमड रहे होंगे भंवरे
तितलियां भी होंगी
और होगी चिडियों की चूं-चूं
चहूं ओर फ़ैली होगी
रंगों की बौछार

आज नहीं, तो कल
होगा "परिवर्तन"

न कोई होगा हिन्दु-मुस्लिम
न होगा कोई सिक्ख-ईसाई
सब के मन "मंदिर" होंगे
और सब होंगे "राम-रहीम"

न कोई होगा भेद-भाव
न होगी कोई जात-पात
सब का धर्म, कर्म होगा
और सब होंगे "कर्मवीर"

आज नहीं, तो कल
होगा "परिवर्तन"।

6 comments:

Rahul Singh said...

परिवर्तनशील संसार में बेहतर भविष्‍य की झलक - सत्‍यं, शिवं, सुंदरं.

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

आमीन.

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत सुन्दर कल्पना ...काश ऐसा ही परिवर्तन हो

खबरों की दुनियाँ said...

अच्छी अभिव्यक्ति , ऐसा ही हो ।

Unknown said...

Kash aisa ho...

अनामिका की सदायें ...... said...

उम्मीद पर दुनिया कायम है...और वैसे भी और बहुत सी उमीदे बाँध के चलते हैं अपने साथ...चलो आज एक और उम्मीद बाँध लेते हैं अपने पोटली में.