आज नहीं, तो कल
होगा "परिवर्तन"
चहूं ओर फ़ैले होंगे पुष्प
और मंद-मंद पुष्पों की खुशबू
उमड रहे होंगे भंवरे
तितलियां भी होंगी
और होगी चिडियों की चूं-चूं
चहूं ओर फ़ैली होगी
रंगों की बौछार
आज नहीं, तो कल
होगा "परिवर्तन"
न कोई होगा हिन्दु-मुस्लिम
न होगा कोई सिक्ख-ईसाई
सब के मन "मंदिर" होंगे
और सब होंगे "राम-रहीम"
न कोई होगा भेद-भाव
न होगी कोई जात-पात
सब का धर्म, कर्म होगा
और सब होंगे "कर्मवीर"
आज नहीं, तो कल
होगा "परिवर्तन"।
6 comments:
परिवर्तनशील संसार में बेहतर भविष्य की झलक - सत्यं, शिवं, सुंदरं.
आमीन.
बहुत सुन्दर कल्पना ...काश ऐसा ही परिवर्तन हो
अच्छी अभिव्यक्ति , ऐसा ही हो ।
Kash aisa ho...
उम्मीद पर दुनिया कायम है...और वैसे भी और बहुत सी उमीदे बाँध के चलते हैं अपने साथ...चलो आज एक और उम्मीद बाँध लेते हैं अपने पोटली में.
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