Sunday, June 13, 2010

हमारा देश

हमारी जनता, हमारी सरकार
हमारा
देश, भारत महान
भ्रष्ट जनता, भ्रष्ट सरकार
भ्रष्ट देश , फिर भी भारत महान

अब हाल देख लो देश का हमारे
एक भ्रष्ट दूसरे भ्रष्ट को निहारता है
एक भ्रष्ट दूसरे भ्रष्ट को सराहता है
एक भ्रष्ट दूसरे भ्रष्ट को पुकारता है

बंद करो भ्रष्टाचार
बंद करो दुराचार
बंद करो अत्याचार

कौन सुने, किसकी सुने, क्यों सुने
कौन उठाये कदम, कौन बढाये कदम
सब तो जंजीरों से बंधे हैं
सलाखों से घिरे हैं
निकलना तो चाहते हैं सभी
तोड़ना तो चाहते हैं सभी
भ्रष्टाचारी, अत्याचारी, दुराचारी, भोगविलासी
सलाखों को - जंजीरों को

पर क्या करें
निहार रहे हैं एक-दूसरे को

कौन रोके झूठी महत्वाकांक्षाओं को
कौन रोके झूठी आकांक्षाओं को
कौन रोके भोगाविलासिता को
कौन रोके "स्वीस बैंक" की और बढ़ते कदमों को

कौन रोके खुद को
सब एक-दूसरे को निहारते खड़े हैं
हमारी जनता, हमारी सरकार, हमारा देश

हर कोई सोचता है
तोड़ दूं - मरोड़ दूं
जंजीरों को - सलाखों को
रच दूं, गढ़ दूं, पुन: एक देश
जिसे सब कहें हमारा देश, भारत महान !

7 comments:

Niraj Kumar Jha said...

Samasya ka sateek chitran. Krpaya samadhan par cnintan kijie aur likhiye.

दिलीप said...

sahi kaha...sab bas nihaar hi rahe hain....

1st choice said...

अंकल अंकल आप के बाल सफ़ेद हो गये हैं हा हा हा ।

arvind said...

हर कोई सोचता है
तोड़ दूं - मरोड़ दूं
जंजीरों को - सलाखों को
रच दूं, गढ़ दूं, पुन: एक देश
जिसे सब कहें हमारा देश, भारत महान ....vah uday bhai...jordaar, kamaal ki baat.

अरुणेश मिश्र said...

सामयिक व प्रशंसनीय ।

रचना दीक्षित said...

बहुत खूब!!!!!!!!!!!!!!!!

लता 'हया' said...

shukria.
wah.